ठोकर लगने का अर्थ और उससे सीख March 2, 2025ठोकर का मतलबठोकर का अनुभव जीवन के महत्वपूर्ण हिस्सों में से एक है। यह केवल एक शारीरिक अनुभव नहीं है, बल्कि यह मानसिक और भावनात्मक विकास के लिए भी आवश्यक है। जब हम ठोकर खाते हैं, तो यह हमें अपने अंदर के ताकतवर इंसान को जगाने का एक अवसर देता है। ठोकर इसलिए नहीं लगती कि इंसान गिर जाए; ठोकर इसलिए लगती है कि इंसान संभाल जाए।ठोकरों से सीखने की कलाठोकरों का सामना करना केवल डर का सामना करना नहीं है, बल्कि यह जीवन की यात्रा में आगे बढ़ने का एक तरीका है। हर ठोकर हमें एक नया सबक सिखाती है। जब हम ठोकर के बाद खुद को संभालते हैं, तो हम अपनी ताकत और निष्क्रियता को पहचानते हैं। यह अनुभव हमें मजबूत बनाता है, और हम फिर से आगे बढ़ने का साहस जुटा पाते हैं।ठोकरों का सकारात्मक प्रभावइसलिए, जब हम जीवन में ठोकर खाते हैं, हमें नकारात्मकता में नहीं गिरना चाहिए। इसके बजाय, हमें ठोकर का मूल्य समझना चाहिए और इसे एक अवसर के रूप में देखना चाहिए। ठोकरें हमें सिखाती हैं कि कैसे हम खुद को संभाल सकते हैं, और इससे हम अपने लक्ष्यों की ओर एक कदम और बढ़ सकते हैं। इसलिए, अगली बार जब आपको ठोकर लगती है, तो याद रखें: यह गिरने का समय नहीं, बल्कि संभलने का समय है। जीवन दर्शन growthresilience