मनुष्य का कर्म? February 4, 2025February 27, 2025मनुष्य का कर्म उसके जीवन का अभिन्न अंग है। यह न केवल उसके वर्तमान को आकार देता है, बल्कि उसके भविष्य की दिशा भी निर्धारित करता है।कर्म का अर्थ है कार्य। मनुष्य जो कुछ भी करता है, चाहे वह शारीरिक हो या मानसिक, अच्छा हो या बुरा, वह सब कर्म कहलाता है। कर्म के दो मुख्य प्रकार हैं: * सकाम कर्म: वे कर्म जो किसी फल की इच्छा से किए जाते हैं। * निष्काम कर्म: वे कर्म जो बिना किसी फल की इच्छा के किए जाते हैं।कर्म का सिद्धांत: कर्म का सिद्धांत यह कहता है कि हर कर्म का फल अवश्य मिलता है। अच्छे कर्मों का फल अच्छा होता है और बुरे कर्मों का फल बुरा। यह फल इस जन्म में या अगले जन्म में मिल सकता है।कर्म का महत्व: कर्म मनुष्य के जीवन में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह न केवल उसके व्यक्तिगत जीवन को प्रभावित करता है, बल्कि उसके सामाजिक और आध्यात्मिक जीवन को भी प्रभावित करता है।कर्म और भाग्य: कुछ लोग भाग्य को कर्म से अधिक महत्वपूर्ण मानते हैं, जबकि कुछ लोग कर्म को भाग्य से अधिक महत्वपूर्ण मानते हैं। वास्तव में, दोनों एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। मनुष्य अपने कर्मों से अपने भाग्य का निर्माण कर सकता है।कर्म और मोक्ष: हिंदू धर्म में कर्म को मोक्ष का मार्ग बताया गया है। जो व्यक्ति अच्छे कर्म करता है और बुरे कर्मों से दूर रहता है, वह मोक्ष को प्राप्त कर सकता है।निष्कर्ष: मनुष्य को अपने कर्मों के प्रति सचेत रहना चाहिए। उसे अच्छे कर्म करने चाहिए और बुरे कर्मों से दूर रहना चाहिए। यही उसके जीवन को सफल बनाने का एकमात्र मार्ग है। मनोरंजन